I.P.C. (भारतीय दंड सहिंता, 1860) Section- 52A: Harbour (संश्रय)
Watch Video:
According to Indian Penal Code, 1860, Bare Act-
Section 52A- Harbour (संश्रय) &
Except in section 157, and in section 130 in the case in which the harbour is given by the wife or husband of the person harboured, the word “harbour” includes the supplying a person with shelter, food, drink, money, clothes, arms, ammunition or means of conveyance, or the assisting a person by any means, whether of the same kind as those enumerated in this section or not, to evade apprehension.
धारा 157 में के सिवाय और धारा 130 में वहाॅ के सिवाय जहां कि संश्रय संश्रित व्यक्ति की पत्नी या पति द्वारा दिया गया हो ‘संश्रय’ शब्द के अन्र्तगत किसी व्यक्ति को आश्रय, भोजन, पेय, धन, वस्त्र, आयुध, गोलाबारूद या प्रवहन के साधन देना, या किन्हीं साधनों से चाहे वे उसी प्रकार के हों या नहीं, जिस प्रकार के इस धारा में परिगणित हैं, किसी व्यक्ति की सहायता पकड़े जाने से बचने के लिए करना, आता है।
धारा 157 में के सिवाय और धारा 130 में वहाॅ के सिवाय जहां कि संश्रय संश्रित व्यक्ति की पत्नी या पति द्वारा दिया गया हो ‘संश्रय’ शब्द के अन्र्तगत किसी व्यक्ति को आश्रय, भोजन, पेय, धन, वस्त्र, आयुध, गोलाबारूद या प्रवहन के साधन देना, या किन्हीं साधनों से चाहे वे उसी प्रकार के हों या नहीं, जिस प्रकार के इस धारा में परिगणित हैं, किसी व्यक्ति की सहायता पकड़े जाने से बचने के लिए करना, आता है।
अब सबाल ये आता है कि धारा 157 और धारा 130 में क्या दिया गया है -
धारा 157- विधि विरुद्ध जमाव के लिये भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना
धारा 130- ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुड़ाना या संश्रय देना
धारा 130- ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुड़ाना या संश्रय देना
टिप्पणी (Description)
जहां कि कोई व्यक्ति कोई अपराध को अंजाम देने के बाद यदि किसी व्यक्ति के निवास गृह पर पहुच जाता है और उस व्यक्ति से आश्रय माॅगता है और निवास गृह का व्यक्ति उस अपराधी की मदद करता है तो वह दण्ड का भागी होगा लेकिन यदि संम्बन्ध पति पत्नी के हो तो संश्रय संश्रित व्यक्ति की पत्नी या पति द्वारा दिया गया हो ‘संश्रय’ शब्द के अन्र्तगत किसी व्यक्ति को आश्रय, भोजन, पेय, धन, वस्त्र, आयुध, गोलाबारूद या प्रवहन के साधन देना, या किन्हीं साधनों से चाहे वे उसी प्रकार के हों या नहीं, जिस प्रकार के इस धारा में परिगणित हैं, किसी व्यक्ति की सहायता पकड़े जाने से बचने के लिए करना, आता है, तो पति या पत्नी को दोषी नही माना जायेगा। इस सम्बन्ध में एक चर्चित वाद भी है जो कि इस प्रकार है-
तमिलनाडू राज्य बनाम नलिनी तथा अन्य, AIR 1999 SC 2640 &
इस वाद में न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि एक पत्नी जो अपने पति के साथ रह रही है, पति के संश्रय की दोषी नही मानी जा सकती है। इस प्रकरण में अभियुक्ता को स्वर्गीय राजीव गाॅधी (पूर्व प्रधानमंत्री) के हत्या के अपराध में विचारित किया गया था। जो कि LLTTE एक तमिल उग्रवादी समूह की सदस्य थी।
और अधिक जानकारी के लिए Watch Video & Subscribe
0 Comments